गर्भाशय (Uterus Meaning in Hindi ) महिला प्रजनन प्रणाली का एक अहम हिस्सा है, जिसमें बच्चे का विकास होता है। यह हर लड़की के शरीर में जन्म से हीं मौजूद होता है। गर्भाशय योनि के ऊपर, मूत्राशय और मलाशय के बीच में होता है। यह लगभग 7 सेमी लंबा और 5 सेमी चौड़ा होता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है और बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय वापस अपने मूल रूप में आ जाता है।
गर्भधारण के लिए स्वस्थ और सामान्य आकार का गर्भाशय आवश्यक होता है। छोटा या बड़ा गर्भाशय होने पर गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है। । मासिक धर्म चक्र के दौरान गर्भाशय की परतें मोटी हो जाती हैं, और यदि गर्भधारण नहीं होता तो यह परतें पीरियड्स के माध्यम से बाहर निकल जाती हैं।
गर्भाशय क्या है? (Uterus Meaning in Hindi/Uterus in Hindi)
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अगर आप जानना चाहते हैं कि Uterus Meaning in Hindi क्या है, तो सरल शब्दों में गर्भाशय वह अंग है जो मासिक धर्म, गर्भधारण और प्रसव से जुड़ा होता है। यह निषेचित अंडाणु को पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे भ्रूण का विकास होता है।
एक महिला के जीवन काल में शरीर में काफी सारे बदलाव आते हैं और इन बदलावों का प्रभाव गर्भाशय (Uterus in Hindi) पर भी पड़ता है। महिला की उम्र और हार्मोनल परिवर्तन का असर भी गर्भाशय पर पड़ता है।
गर्भाशय की संरचना (Structure of the Uterus in Hindi)
गर्भाशय नाशपाती के आकार का होता है। जिसे बच्चेदानी भी कहा जाता है। यह महिला के निचले हिस्से में योनि और मूत्राशय के बीच में होता है।
गर्भाशय के मुख्य रूप से 3 हिस्से (Main Parts of the Uterus) होते हैं।
1. फंडस
गर्भाशय के सबसे ऊपर वाले हिस्से को फंडस कहते हैं। गर्भावस्था के दौरान फंडस का माप लेकर बच्चे के विकास की जांच की जाती है। यह गर्भस्थ बच्चे को सुरक्षा प्रदान करता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था के दौरान हार्मोन लेवल नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
2. बॉडी
यह गर्भावस्था का मुख्य हिस्सा होता है, जहां भ्रृण का विकास होता है।
3. सर्विक्स
यह गर्भाशय को योनि से जोड़ता है। सर्विक्स को गर्भाशय ग्रीवा भी कहा जाता है। सर्विक्स की वजह से गर्भाशय और योनि के बीच फ्लूइड गुजर पाता है, जिससे बच्चे को गर्भाशय से बहार निकलने में मदद मिलती है।
गर्भाशय के कार्य (Functions of the Uterus in Hindi)
गर्भाशय के मुख्य रूप से 3 कार्यों होते हैं, मासिक धर्म, प्रजनन कार्य और भ्रृण विकास में योगदान।
1. मासिक धर्म
मैन्स्ट्रुअल सायकिल के दौरान गर्भधारण नहीं होता है तो एंडोमेट्रियल की परतें योनि के माध्यम से बहार निकल जाती है, जिसे हम मासिक धर्म या पीरियड्स कहते हैं।
शरीर को गर्भधारण करने के लिए तैयार करने की प्रक्रिया के रूप में गर्भाशय की परते मोटी हो जाती है और रक्त से भरपुर बनाती है। ऐसे में गर्भधारण नहीं होता है तो गर्भाशय की परते शरीर से बाहर निकल जाती है।
2. प्रजनन में भूमिका
गर्भधारण तब होता है जब पुरूष के स्पर्म महिला के अंडे तक पहुंच पाए और उसे फर्टिलाइज करें। बढ़ता हुआ भ्रृण गर्भाशय के एंडोमेट्रियम में प्रस्थापित हो जाता है।
हालांकि की कुछ फैक्टर्स ऐसे होते हैं जो गर्भाशय के कार्यों को प्रभावित करते हैं जैसे कि गर्भाशय का आकार, फाइब्रॉएड या पेल्विस इन्फ्लेमेटरी डिजीज (PID) ।
3. भ्रूण विकास में भूमिका
बच्चे का संपूर्ण विकास गर्भाशय में हीं होता है। गर्भाशय बच्चे को सुरक्षा प्रदान करता है। जब तक बच्चा जन्म के लिए तैयार न हो जाए तब तक बच्चा गर्भाशय में हीं रहता है। गर्भावस्था भी बच्चे के विकास और आकार के हिसाब से बढ़ता है।
गर्भाशय से जुड़ी आम समस्याएं (Common Causes Uterus in Hindi)
1. फाइब्रॉएड (Fibroids)
यह आम कैंसर रहित ट्यूमर होती है। फाइब्रॉएड छोटी हो तो उसके लक्षण देखने को नहीं मिलते लेकिन बड़ी हो तो उससे दर्द हो सकता है। कभी कभी दवाएं से ही इसका इलाज हो जाता है। कुछ मामलों में सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।
2. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
गर्भाशय में मौजूद एंडोमेट्रियल टिशू बढ़ने लगते हैं तब यह समस्या होती है। कभी कभी यह अंडाशय, आंतों और प्रजनन अंगों तक भी फैलने लगते हैं। जिसकी वजह से पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द होना, थकान, इनफर्टिलिटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
3. पॉलीप्स (Polyps)
यह गर्भाशय की आंतरिक दीवार से जुड़ी होती है जो गर्भाशय में फैल जाती है। यह आम तौर पर कैंसर रहित होते हैं लेकिन कुछ कैंसर में परिवर्तित हो सकते हैं। इसमें मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग होना, पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होना, इनफर्टिलिटी जैसे लक्षण देखने मिलते हैं।
4. गर्भाशय में संक्रमण (Uterine Infections)
प्रजनन सिस्टम में बैक्टीरिया घुसने से गर्भाशय में संक्रमण होता है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन, अबोर्शन, बैक्टीरियल वेजिनोसिस, सर्जिकल कॉम्प्लिकेशन, डिलीवरी की वजह से बैक्टीरिया गर्भाशय में प्रवेश कर सकते हैं। एंटिबायोटिक्स या फिर कभी सर्जरी से इसका इलाज किया जा सकता है।
5. अन्य समस्याएं (Other Uterine Conditions)
एंटीवर्टेड गर्भाशय (Anteverted Uterus), बड़ा गर्भाशय (Bulky Uterus), पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), यूटराइन प्रोलैप्स (Uterine Prolapse), पोलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
गर्भाशय से संबंधित लक्षण (Symptoms of Fertility Disease in Uterus in Hindi)
1. बड़ा गर्भाशय (Bulky Uterus)
बड़ा गर्भाशय होने पर पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग होना, पेल्विस में दर्द होना, पेट में सूजन जैसे लक्षण देखने मिल सकते हैं।
2. अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods)
अनियमित पीरियड्स, बालों का झड़ना, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर बालों की वृद्धि, वजन बढ़ना जैसे संकेत पोलिसिस्टिक ओवरी डिजीज के हो सकते हैं।
3. पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
PCOS की स्थिति में अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, चेहरे पर बालों का बढ़ जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
4. यूटराइन प्रोलैप्स (Uterine Prolapse)
पेल्विस में भारीपन, योनि से शरीर का हिस्सा बहार आना, मूत्राशय और आंत्र में समस्या हो तो यूटराइन प्रोलैप्स हो सकता है।
इसके अलावा पेट के निचले हिस्से में दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव (Heavy Bleeding), बांझपन (Infertility), पेशाब में परेशानी, खुजली जैसे लक्षण भी गर्भाशय की समस्या के हो सकते हैं।
गर्भाशय की समस्याओं का उपचार (Treatment of Fertility Disease in Uterus in Hindi)
1. दवाइयों से इलाज (Medication)
गर्भाशय की समस्याओं के अनुसार डॉक्टर हार्मोनल या धोनी हार्मोनल दवाएं का सुझाव दे सकते हैं।
2. सर्जरी (Surgery)
गर्भाशय की नलिकाओं में समस्या हो तो सर्जरी का सहारा लिया जा सकता है।
3. गर्भाशय को हटाने की प्रक्रिया (Hysterectomy)
गर्भाशय शरीर से निकालने के लिए हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी की जाती है। एंडोमेट्रिओसिस, एडिनोमायोसिस, फाइब्रॉएड, गर्भाशय का असामान्य विकास, यूट्रस पॉलीप्स जैसी स्थिति में यह की जाती है।
4. प्राकृतिक उपाय (Home Remedies or Natural Treatments)
अपने डायट में हरि सब्जियां, फाइबर को शामिल कर फायब्रॉएडस को ठीक कर सकते हैं। इसके अलावा पेट पर टेस्टर ऑइल से सिकाई कर सकते हैं।
5. जीवनशैली में बदलाव
खानपान का असर भी गर्भाशय के स्वास्थ्य पर दिखाई पड़ता है। ऐसे में अपने डायट में सभी तरह की सब्जियां शामिल करें और नियमित रूप से से कसरत करें।
गर्भाशय को स्वस्थ रखने के उपाय (Tips to Maintain a Healthy Uterus in Hindi)
1. संतुलित आहार (Balanced Diet)
गर्भाशय फायब्रॉएडस और कैंसर से बचने के लिए काजू, बादाम, अखरोट और अलसी के बीज का सेवन करें। इसके अलावा कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर दूध, दहीं, पनीर, मक्खन का सेवन करें। फायब्रॉयड्स की संख्या कम करने के लिए नियमित रूप से ग्रीन टी पीएं।
2. नियमित व्यायाम (Regular Exercise)
गर्भाशय को स्वस्थ रखने के लिए अपनी दिनचर्या में व्यायाम को भी जोड़े। नियमित व्यायाम से शरीर में ब्लड फ्लो अच्छा रहेगा साथ ही गर्भाशय भी स्वस्थ रहेता है। 30 मिनट की वॉक भी गर्भाशय को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
3. तनाव प्रबंधन (Stress Management)
तनाव से हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए तनाव से दूर रहें। तनावमुक्त रहने के लिए पर्याप्त नींद लें और मेडिटेशन करें।
4. नियमित स्वास्थ्य जांच (Routine Health Check-ups)
गर्भाशय की नियमित जांच करवाने से संभावित खतरे से बचा जा सकता है। खास करके मेनोपॉज के बाद महिलाओं को नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए।
गर्भाशय की समस्याओं के लिए डॉक्टर से कब संपर्क करें?
अनियमित पीरियड्स, पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग, तेज़ दर्द, सेक्स के दौरान दर्द होना, पीरियड्स के बीच में स्पॉटिंग जैसे लक्षण महसूस होने पर तुरंत हीं डॉक्टर से परामर्श करें। इसके अलावा प्रजनन संबंधी समस्या होने पर भी डॉक्टर से परामर्श करें। अगर आप गर्भाशय की समस्याओं से परेशान है तोह आज ही हमारे IVF Specialist Doctor रश्मि प्रसाद से संपर्क करे ☎ आज ही संपर्क करें और अपने सपने को हकीकत में बदलें : +91-8051761659
निष्कर्ष
गर्भाशय (Uterus in Hindi) महिलाओं के पीरियड्स से लेकर प्रजनन क्षमता से जुड़ा हुआ है। ऐसे में गर्भाशय में हो रही समस्या से महिला के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इसलिए असामान्य लक्षण दिखाई दे तो तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर निदान से इसे दिनचर्या में बदलाव कर या फिर सिर्फ दवाएं से भी ठीक किया जा सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
गर्भाशय का मुख्य कार्य क्या है?
गर्भाशय पीरियड्स से लेकर प्रजनन और प्रसव जैसे महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़ा होता है।
गर्भाशय में दर्द के कारण क्या हो सकते हैं?
गर्भाशय में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से परामर्श करें और जरूरी निदान के जरिए इसका सही कारण का पता लगाया जा सकता है।
गर्भाशय में सूजन के लक्षण क्या हैं?
पेट में भारीपन, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, कमर दर्द, बुखार, बार-बार पेशाब आना, पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, गर्भधारण करने में तकलीफ़ होना गर्भाशय के सूजन के लक्षण हैं।
गर्भाशय को स्वस्थ रखने के लिए क्या खाएं?
काजू, बादाम, अखरोट और अलसी के बीज और कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर दूध, दहीं, पनीर, मक्खन का सेवन करने से गर्भाशय की समस्याओं में आराम मिलता है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज कैसे किया जाता है?
आम तौर पर मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉएड अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन कुछ मामलों डॉक्टर सर्जरी के लिए कह सकते हैं।
गर्भाशय से जुड़ी कौन-कौन सी गंभीर बीमारियां होती हैं?
फायब्रॉएडस, एंडोमेट्रियोसिस, पोलिप्स, गर्भाशय में संक्रमण, एंटीवर्टेड गर्भाशय (Anteverted Uterus), बड़ा गर्भाशय (Bulky Uterus), पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), यूटराइन प्रोलैप्स (Uterine Prolapse), पोलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) जैसी बीमारियां हो सकती है।
क्या गर्भाशय की समस्या से मासिक धर्म पर असर पड़ता है?
गर्भाशय का मासिक धर्म से सीधा संबंध है ऐसे में गर्भाशय की समस्या से मासिक धर्म प्रभावित हो सकता है।